स्कूल की ओ लडकी भाग भाग चार यामिनी
स्कूल की ओ लडकी
यामिनी।।
यामिनी एक काफी होशियार और बुद्धिमान लड़की है जो कक्षा चार में पढ़ती है ।
ओ काफी चिड़चिड़े स्वभाव के साथ साथ काफी झगड़ालू स्वभाव की भी है उसे अपने इतना होशियार और लड़के अपनी कक्षा में पसंद नहीं वैसे तो यामिनी का अर्थ होता है -- रात्रि और रात्रि हमें सुखद शांति और हमारे थकान को हर कर हमें नयी ऊर्जा प्रदान करती है।
किंतु यामिनी उससे कुछ भिन्न है, यामिनी झगड़ालू स्वभाव की है इसलिए लड़के उससे डरते हैं, किंतु ओ सुन्दर और बुद्धिमान हैं इसलिए पसंद भी करते हैं ।
दरअसल यामिनी के झगड़ालू होने का कारण उसकी ईर्ष्या है ,
ईर्ष्या ऐसी चीज है जिसके कारण ईर्ष्यालू व्यक्ति सामने से तो खुश रहता है पर मन ही मन जलन महसूस करता है उसे सबसे ज्यादा भाव चाहिए ,सबसे ज्यादा सम्मान चाहिए, हर एक चीज सबसे ज्यादा चाहिए ,उसके बाद भी ओ आगे होने की होड़ लगाये रहता है ।
यदि उसका कोई मित्र किसी दूसरे की तारीफ कर देता है तो वह उसे सामने तो कुछ नहीं कहेगा किंतु धीरे धीरे उससे बोलना बंद कर देगा और उससे दूरी बना लेगा और फिर उससे बोलना बंद कर देगा ।
इसका प्रभाव छोटे छोटे बच्चों में ज्यादा दिखाई देता है और उसका कारण उनके माता-पिता होते हैं क्योंकि वें चाहते हैं कि उनके बच्चे ही सबसे आगे रहें उनके बच्चे सबसे ज्यादा उन्नति करें ताकि ओ दूसरों को नीचा दिखा सकें तो भला ये कैसे सम्भव है और अब तक सदा के लिए तो ये हो नहीं सकता है ।
यदि उनका बच्चा कहीं परीक्षा में थोड़ा कम अंक लेकर आता है तो ओ उसे डांटना शुरू कर देते हैं कि उनका लड़का तुमसे ज्यादा अंक लेकर आया है तुम किसी काम के नहीं हो इत्यादि और दूसरों से जलन के चलते अपने ही बच्चों में दोहरा पन का व्यवहार शुरू कर देते हैं किसी को कम तो किसी को ज्यादा लाड़-प्यार करने लगते हैं।
इससे धीरे-धीरे बच्चों के मन में ईर्ष्या घर कर जाती है और ओ सवाल करने लगते हैं कि मुझे कम क्यों मिल रहा है और उसे ज्यादा क्यों मिल रहा है ऐसे धीरे धीरे वें ईर्ष्यालू होने के साथ साथ झगड़ालू स्वभाव के भी हो जाते हैं और धीरे-धीरे उनके संबंधों में दरार पड़ने लगती है और ओ फिर खुद के भाई या बहन को भी देखना पसंद नहीं करते हैं यही ईर्ष्या उनके अंदर द्वेष जलन और घृणाको इतना बढ़ा देती है जिसके कारण ओ अपनों से दूर हो जाते हैं ।
अतः उनके परिवार वालों को चाहिए कि उनके साथ दोहरा व्यवहार न करके उन्हें प्यार से समझाएं और अच्छी शिक्षा दे बच्चों को बराबर प्रेम करें और उनका मार्गदर्शन करें न कि अपने अहंकार की तुष्टि के लिए बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करें यामिनी के पिता एक अध्यापक हैं जो चाहते हैं कि यामिनी ही सदा प्रथम रहे अतः यामिनी का ईर्ष्यालू होना उसकी गलती नहीं है ।
खैर अब स्कूल में बच्चों की तैयारी शुरू हो चुकी थी क्योंकि दश दिनों बाद उनके मेहनत का परिणाम आना था या तो शाबाशी अथवा छड़ी से पिटाई सभी गुरु जी अपनी कक्षा में पढ़ाते और चले जाते किंतु शुक्ला गुरु जी अपनी दोनों पालियो में बच्चों को मैदान में बैठकर याद करने को कहते क्योंकि दोनों पालियां शुक्ला गुरु जी की थी एक दिन हिंदी वाली अध्यापिका पढ़ा रहीं थीं तभी उन्होंने पूछा कि अरुण इतने परेशान क्यों हो ?
अरुण ने कहा ------- मैम दरअसल बात ये है कि शुक्ला गुरु जी ने कहा है कि दश दिन बाद उनको कविता सुनानी है और आज छ: दिन बीत गये पर एक भी कविता ठीक से याद नहीं हुयी
अध्यापिका------- तो क्या हुआ पहले उसे ध्यान से पढ़ो समझो फिर याद करो
अरुण---- जी मैम कोशिश तो कर रहे हैं कि याद हो जाये पर क्या करें आप भी बीच बीच में परीक्षा लेने लगतीं हैं
अध्यापिका----- अच्छा! तो मेरे बार-बार परीक्षा लेने से तुम लोगों को याद नहीं होता है
सभी बच्चों ने हंसते हुये एक साथ कहा जी मैम ।
अरुण---- अच्छा मैम एक बात कहूं आप बुरा तो नहीं मानेंगी ?
अध्यापिका--- कहो क्या बात है
अरुण------ अच्छा मैम अगर हम लोगों को न याद हो तो आप हमें शुक्ला गुरु जी से बचा लेंगी कि इन लोगों को मत पीटिये और ओ आपकी बात भी नहीं टालेंगे।
अध्यापिका----- हंसते हुए अच्छा! हम कहने जायें की इन बच्चों को मत पीटना हम तो नहीं कहेंगे
अरुण------ क्यों मैम क्या आप हमसे स्नेह नहीं करती हैं
अध्यापिका-----हंसते हुये तो इसका मतलब थोड़ी है कि हम उनसे कहने जायें गधे कहीं के
अरुण------ मैम क्या आप शुक्ला गुरु जी को गधा बोल रही है
अध्यापिका------ तुम लोग काफी बदमाश हो गये हों पिटाई करनी पड़ेगी तुम लोगों कि ऐसा कहकर हंसने लगी और घंटी लगने के बाद चली गयी
तीसरी पाली में अरुण और एक बच्चा जिसका नाम अनमोल था दोनों मैदान में बैठकर पढ़ रहे थे अनमोल अगली कक्षा का छात्र था तभी उसने पूछा तुम्हारा नाम क्या है?
अरुण----- मेरा नाम अरुण है और तुम्हारा नाम क्या है
अनमोल------ मेरा नाम अनमोल है
वैसे तुम क्या याद कर रहे हो क्या तुम्हें भी शुक्ला गुरु जी ने कविता याद करने को कहा है
अरुण------- हां मुझे भी शुक्ला गुरु जी ने संस्कृत की कविता याद करने को कहा है क्या तुम भी वही याद कर रहे हो
अनमोल------ हां मुझे भी संस्कृत की कविता याद करनी है वैसे मुझे इंग्लिश काफी अच्छी आती है पर संस्कृत उतना बढ़िया नहीं आता है और तुम्हें
अरुण------- मुझे संस्कृत तो काफी अच्छा आता है पर इंग्लिश उतना समझ नहीं आता है
अनमोल------ तो कोई बात नहीं तुम मुझे संस्कृत पढ़ा देना मैं तुम्हें इंग्लिश पढ़ा दुंगा
अरुण ----- ये ठीक रहेगा दोनों आपसे में बात कर ही रहे थे कि तभी अरुण की दृष्टि स्कूल के दरवाजे पर गयी वहां से कोई छात्रा आ रही थी अरुण ने कहा देखो कोई काफी सुन्दर और नयी छात्रा आ रही है आज देखने से काफी होशियार मालूम पड़ती है ।
अनमोल ----- कौन ओ चुड़ैल जानते हो उसका नाम यामिनी है और वो नयी छात्रा नहीं पुरानी छात्रा है उसके पांव में मोच आ गया था इसलिए इतने दिन से नहीं आ रही है
अरुण ------ अच्छा तो ये है यामिनी इसी की तारीफ तो चल रही थी उस दिन कि ये काफी होशियार लड़की है और बुद्धिमान भी है तथा सुन्दर भी
अनमोल ------ अच्छा सुन्दर और ओ चुड़ैल है बिल्कुल
अरुण ------ क्यों
अनमोल------- इस से एक दिन परीक्षा के दौरान एक शब्द पूछ लिया की बता दो तो इसने बताया भी नहीं और ऊपर से शुक्ला गुरु जी से कहकर मेरी पिटाई भी करा दी चुडैल कहीं कि देखो किसी डायन से कम नहीं लग रही है ऐसा लग रहा है जैसे दश दिनों से किसी का खून चूसकर आ रही है ।
अरुण ------- अच्छा तो ये बात है फिर याद करो वरना तुम्हारे साथ इस बार मेरी भी पिटाई हो जायेगी ऐसा कहकर दोनों हंसने लगे और फिर याद करने लगे ।
कुछ देर बाद स्कूल की घंटी बजी और अरुण अपने कक्षा में आ गया और पढ़ने लगा आज विज्ञान वाले गुरु जी आये तो थे नहीं इसलिए हेडमास्टर जी ने कहा कि अपना अपना विषय याद करो शोर मत करना तो सभी बच्चे अपना अपना विषय याद करने लगे उधर इतने दिनों बाद आने के कारण यामिनी अपनी सहेलियों से बात कर रही थी तभी उसकी एक सहेली जिसका नाम रागिनी था ओ उठी और अरुण के पास आकर बोली अरुण मुझे ये सवाल बताओ न कैसे लगेगा
दरअसल अरुण और रागिनी की इतने दिनों में काफी अच्छी मित्रता हो गयी थी अरुण को सवाल बताते देखा तो यामिनी को शायद ये बात पसंद नहीं आया कि उसके रहते किसी और से कोई सवाल पूछे
तो यामिनी ने अपनी प्रिय सहेली रागिनी से पूछा कि ये नया लड़का कौन है?
रागिनी------- इसका नाम अरुण है और स्कूल में नया आया है
यामिनी अरुण से------- काफी होशियार लगते हो
अरुण------ जी आप भी काफी होशियार है मैंने सुना है
यामिनी------ हां ओ तो मैं हूं ही अच्छा तुम्हें क्या क्या आता है
अरुण------ सभी विषय जो मेरी कक्षा में हैं
यामिनी----- मुझे पागल तो नहीं बना रहे हो न ऐसा कैसे हो सकता है
अरुण----- नहीं आपको पागल समझने की तो कोई जरूरत ही नहीं है
यामिनी------- चलो देखते हैं चार दिन बाद जब गुरु जी सुनेंगे तब पता चलेगा कौन ज्यादा होशियार है
अरुण----- ठीक है जी चलो देखते हैं कौन ज्यादा होशियार है और क्या होगा उस दिन और फिर सभी बच्चे अपनी तैयारी करने लगे ......
धन्यवाद मेरी रचना को पढ़ने के लिए अगला भाग जल्द ही प्रकाशित करुंगा 🙏🙏
लेखक ----- अरुण कुमार शुक्ल
Pankaj Pandey
22-Aug-2022 03:01 PM
Behtarin rachana
Reply
shweta soni
22-Aug-2022 09:29 AM
Bahut khub 👌
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Seema Priyadarshini sahay
22-Aug-2022 08:37 AM
बेहतरीन रचना
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